Wednesday, August 24, 2011

सुना है ......

सुना था
चुप बोलती है
हम है वहां अब
जहाँ चुप्पी भी
कुछ नहीं बोलती है
अपनी आवाज के
ताले नहीं खोलती है
निरंकुश आँखों के सवार
देखो हत्यारे
काट कर ले गए आज
चुप्पी की भी जबान
हाथ-पाँव बांध कर
घुटनों के बल
चौक पर सरेआम
जलाई जायेगी
उसकी शब्दहीन आवाज
सुना है
शहादते भी
रखती है जबान !!
***हेमा***

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3 comments:

  1. आक्रोश की बेहतर अभिव्यक्ति...

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  2. बिल्‍कुल ठीक सुना है आपने हेमा जी. सुन्‍दर कविता.

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