Monday, April 1, 2013

फितरत ...

विवादों की
आदतों में शुमार है ...
सतहों पर तैरना ...
उथले पानी ढूँढ
वहीँ पर रहना ...
और मुँहचुप्पी
मंथरा साजिशें ...
उनकी फितरत में है
शातिर पैरों पर
अपना मुँह दाब-दाब 
चेहरें ढाँप-ढाँप चलना ...


नकाबपोश साजिशें,
अनदेखे अँधियारे तलों में ...
गहरे पैठ ...
चलाती हैं  ...
ब्रह्मास्त्रों के
अपने अचूक प्रहार ...


~~हेमा~~

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1 comment:

  1. क्या करें विवाद भी। आखिर उनको भी दाना-पानी तो चाहिये जिन्दा रहने के लिये। :)

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